Monday, July 16, 2012

Shayad Khuda Ne Bhool Ki Hai

शायद खुदा ने भूल की है

तुम्हे न दी बचपन से कोई तकलीफ
दी आजादी जीने की, खाने की, पीने की.

शायद खुदा ने भूल की है
तुम्हे न दी ज़िन्दगी में कोई आफत
दी एक माँ जो सराहे, और एक वालिद तो दिखाए रास्ता.

शायद खुदा ने भूल की है
तुम्हे दी न कोई मुश्किल जीने मई
तुमसे है न किसीको को कोई उम्म्दीद उन्सोची, ना कोई बैर

शायद खुदा ने भूल की है
साड़ी उलझने दी तुम्हारी माँ को, बहेन को, बीवी को
तुम्हे फिर भी ना दी समझ ने की, सहने की ताकत

शायद खुदा ने भूल की है
दिए तुम्हे muscles दुनिया का बोझ ढो ने को
ना दी तुम्हे समझ ज़िन्दगी की उलझने झेल ने को

शायद खुदा ने भूल की है
किया ज्यादा प्यार हम औरतों से, सिखाया भी ज्यादा
तुम्हे छोड़ दिया हमारे भरोसे, वह भी बिना बताये

शायद खुदा ने भूल की है
हमे दी ज़िम्मेदारी तुम्हे संभालने की
पर तुम्हे ना दे पाए समझ, हमे पलकों पे बिठाने की

शायद खुदा ने भूल की है


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